⚡️ईरान-इज़राइल संघर्षविराम: ट्रंप ने कहा 24 घंटे में शांति – क्या वाकई युद्ध थमेगा?
24 जून 2025 को वैश्विक राजनीति में एक बड़ा मोड़ तब आया जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि ईरान और इज़राइल के बीच संघर्षविराम (Ceasefire) की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अगले 24 घंटे के भीतर इसे लागू कर दिया
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🔥 संघर्ष की पृष्ठभूमि: कहां से शुरू हुआ ये टकराव?
ईरान और इज़राइल के बीच दशकों पुराना वैचारिक, सैन्य और राजनीतिक संघर्ष है। लेकिन 2024 के अंत से हालात और भी ज़्यादा बिगड़ने लगे:
इज़राइल ने ईरान समर्थित हिज़्बुल्लाह और सीरिया में मिलिशिया ठिकानों पर हमले तेज कर दिए।
ईरान ने रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) के ज़रिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हमले शुरू कर दिए।
ग़ज़ा और वेस्ट बैंक में हिंसा बढ़ी, जिससे क्षेत्रीय तनाव और तेज हुआ।
इस सबके बीच अमेरिका, रूस, चीन, तुर्की और सऊदी अरब जैसे देश अपने-अपने हितों की पूर्ति के लिए कूटनीतिक चालें चल रहे हैं।
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🗣️ ट्रंप का दावा: 24 घंटे में संघर्षविराम
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी मीडिया को दिए बयान में कहा:
> “हमने बैकडोर डिप्लोमेसी के ज़रिए बहुत प्रगति की है। ईरान और इज़राइल दोनों सहमत हैं कि अब युद्ध रोकना ज़रूरी है। संघर्षविराम की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और यह अगले 24 घंटों में लागू होगी।”
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब इज़राइल ने तेहरान के करीब एक परमाणु रिसर्च सुविधा पर हमले की योजना बनाई थी और ईरान ने जवाब में अमेरिकी नौसेना ड्रोन गिराया था।
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🔍 ईरान और इज़राइल की चुप्पी
ट्रंप के इस बयान के बाद ना तो इज़राइल और ना ही ईरान की सरकारों ने कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया दी है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि:
1. संवेदनशील वार्ता अभी जारी है।
2. कोई पक्ष पहले पुष्टि करके रणनीतिक नुकसान नहीं उठाना चाहता।
3. ट्रंप की घोषणा एक राजनीतिक चाल भी हो सकती है, खासकर अमेरिका में आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए।
4. संघर्षविराम आसान नहीं होगा, क्योंकि दोनों देश एक-दूसरे पर भरोसा नहीं करते।
5. ट्रंप के बयान से संकेत मिलता है कि बैकडोर डिप्लोमेसी (गुप्त वार्ता) चल रही है।
6. अगर यह सीज़फायर होता है, तो इससे पूरे मध्य पूर्व में स्थिरता आ सकती है।
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🌍 वैश्विक राजनीति में हलचल
संयुक्त राष्ट्र (UN) और यूरोपीय यूनियन
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस सप्ताह आपात बैठक बुलाई थी।
यूरोपीय यूनियन ने दोनों देशों से युद्ध रोकने की अपील की है।
अमेरिका की भूमिका
अमेरिका, जो इज़राइल का घनिष्ठ सहयोगी है, अब ट्रंप के बयान के बाद मध्यस्थता की भूमिका में दिख रहा है।
लेकिन बाइडेन प्रशासन ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
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📊 संघर्ष का असर
1. तेल की कीमतों में उछाल
इस संघर्ष के चलते कच्चे तेल की कीमतें $100 प्रति बैरल तक पहुंच चुकी थीं।
संघर्षविराम की उम्मीद से कीमतों में थोड़ी गिरावट आई है।
2. शेयर बाजार पर असर
इज़राइली और ईरानी स्टॉक मार्केट में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया।
भारतीय बाजार भी अस्थिर रहे, लेकिन ट्रंप के बयान के बाद सेंसेक्स और निफ्टी में थोड़ी स्थिरता आई।
3. मानवाधिकार संकट
युद्ध क्षेत्रों में 1 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।
ग़ज़ा, सीरिया और लेबनान बॉर्डर के इलाके सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं।
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🤔 संघर्षविराम – कितना संभव?
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि संघर्षविराम तब तक स्थायी नहीं हो सकता जब तक:
ईरान अपने मिलिशिया नेटवर्क पर नियंत्रण न करे।
इज़राइल सीरिया और लेबनान में सैन्य हस्तक्षेप बंद न करे।
अमेरिका और रूस स्पष्ट रूप से हस्तक्षेप न करें।
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चुनौती क्या है?
ईरान और इज़राइल आपसी अविश्वास में डूबे हुए हैं।
क्षेत्रीय गुटबंदी (जैसे सऊदी बनाम ईरान) इसे और जटिल बनाती है।
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📌 निष्कर्ष: उम्मीद की किरण या भ्रम?
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान एक सकारात्मक संकेत हो सकता है कि पीछे से बातचीत (Backdoor Diplomacy) चल रही है। लेकिन जब तक ईरान और इज़राइल की सरकारें आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं करतीं, तब तक इसे सिर्फ़ “राजनीतिक बयानबाज़ी” मानना ही ठीक होगा।
आने वाले 24 से 48 घंटे बेहद महत्वपूर्ण होंगे। यदि संघर्षविराम लागू होता है, तो यह पूरे मध्य पूर्व और वैश्विक राजनीति के लिए राहत की सांस होगी। अन्यथा, यह एक और असफल पहल बनकर रह जाएगी।
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